कई सांस्कृतिक और धार्मिक कथाओं को अपने आप में संजोय भारत का एक ऐसा राज्य जिसकी ख्याति न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि विश्व के कोने कोने में गूंजती है…एक ऐसा राज्य जिसकी धरती पर कई महान वीर योद्धा अवतरित हुए…और तो और यहां सभी धर्मों के और उनके जनकों के होने का इतिहास भी आंखों की कई परतों को खोल देता है….दूसरे शब्दों में आपसे कहें तो पूरे विश्व में अपनी संस्कृति की अलग पहचान रखने वाले देश भारत का नाम जिस गौरव से लिया जाता है ठीक उसी प्रकार हिंदुस्तान में बिहार के मान सम्मान धर्म संस्कृति और इश्वरीय अवतार की गौव गाथाएं घर घर में आज भी सुनाई जाती हैं…
बिहार में वैसे तो सभी धर्म जाति और समुदाय के लोग रहते हैं…कई ऐसे समुदाय भी हैं जिन्होंने इन सबसे हटकर इनके अनुयायियों को ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग बनाया है…चाहे बौद्ध धर्म की बात हो या फिर जैन धर्म की… आज आपको न सिर्फ बिहार में बल्कि इनके अनुयायी देश विदेश में भी मिलेंगे…
बिहार में जैन धर्म का प्रचार प्रसार जानने और इसको मानने वालों के बारे में बतायेंगे लेकिन कुछ कड़ियां जो इस धर्म की स्थापना करने वाले भगवान महावीर से ही शुरू होती हैं पहले हम उसे बता देते हैं…. जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला प्राचीन धर्म और दर्शन है… जैन अर्थात् कर्मों का नाश करनेवाले ‘जिन भगवान’ के अनुयायी। सिधू घाटी से मिले जैन अवशेष जैन धर्म को सबसे प्राचीन धर्म का दर्जा देते हैं…
जैन धर्म का उद्भव की स्थिति स्पष्ट है। जैन ग्रंथो के अनुसार धर्म वस्तु का स्वाभाव समझाता है, इसलिए जब से सृष्टि है तब से धर्म है, और जब तक सृष्टि है, तब तक धर्म रहेगा, अर्थात् जैन धर्म सदा से अस्तित्व में था और सदा रहेगा। इतिहासकारो द्वारा जैन धर्म का मूल भी सिंधु घाटी सभ्यता से जोड़ा जाता है जो हिन्द आर्य प्रवास से पूर्व की देशी आध्यात्मिकता को दर्शाता है।
जैन ग्रंथो के अनुसार वर्तमान में प्रचलित जैन धर्म भगवान आदिनाथ के समय से प्रचलन में आया। यहीं से जो तीर्थंकर परम्परा प्रारम्भ हुयी वह भगवान महावीर या वर्धमान तक चलती रही …. भगवान महावीर के समय से पीछे कुछ लोग विशेषकर यूरोपियन विद्वान् जैन धर्म का प्रचलित होना मानते हैं। उनके अनुसार यह धर्म बौद्ध धर्म के पीछे उसी के कुछ तत्वों को लेकर और उनमें कुछ ब्राह्मण धर्म की शैली मिलाकर खडा़ किया गया। जिस प्रकार बौद्धों में 24 बुद्ध है तो ठीक उसी प्रकार जैनों में भी 24 तीर्थकार है। संभेद्रिखर, राजगिर, पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय, श्रवणबेलगोला आदि जैनों के प्रसिद्ध तीर्थ हैं।
महावीर ने बिहार की इसी धरती पर पावापुरी में अपनी अंतिम सांस ली …भगवान महावीर के चले जाने के बाद भी जिस मार्ग पर चलने का उन्होंने लोगों को पाठ पढ़ाया ….लोगों ने उसे अपना मार्ग चुन लिया और ये परंपरा आगे बढ़ती गई…सिर्फ बिहार में अगर इस धर्म के असतित्व की बात की जाये तो यहां भी भगवान महावीर के कई मंदिरों की स्थापना की गई है…इसके साथ ही जयंती पर निकलने वाली विशाल सभा और भक्ती के जो उमंग दिखते हैं…वो इस बात के साक्षी हैं कि बौद्ध धर्म की ही भांति जैन धर्म के अनुयायी मौजूद हैं…और ये अपने आप में बिहार के लिए गौरव की बात है…
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