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Bihar gives maximum IAS every year. Modi, Amit Shah also runs at Biharis behest I Biharplus News

IAS officers from Bihar

देश की कठिनतम परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा। इसमें टॉप रैंकर्स बनते हैं आईएएस। ये टॉप रैंकर्स कैसे बनते हैं, इसका फिक्स फार्मूला तो अब तक किसी को नहीं मिला लेकिन बिहार की धरती इन टॉपर्स को पैदा करने में आज भी दूसरे नंबर पर है। देश भर के कुल 4925 आईएएस अधिकारियों में 462 अकेले बिहार से हैं। यानी, 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स बिहारी हैं।

पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड देखें तो बिहार से आईएएस अधिकारियों की संख्या में इजाफा हुआ है।वर्ष 1997 से 2006 के बीच 10 सालों में देश भर से चुने गए 1588 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 108 (6.80 प्रतिशत) शामिल रहे। यह आंकड़ा अगले 10 सालों में बढ़ा। वर्ष 2007 से 2016 के बीच देश भर से चुने गए कुल 1664 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 125 (7.51 प्रतिशत) शामिल हुए। हालांकि यह बढ़ोतरी अभी बिहार से कुल आईएएस अधिकारियों की संख्या में कम है।
बिहार से आईएएस अधिकारी बनने के मामले में सबसे सुनहरा वक्त 1987 से 1996 के बीच रहा था।इस दौरान यूपीएससी के जरिए कुल 982 आईएएस अधिकारियों का चयन हुआ, जिसमें अकेले बिहार से 159 अधिकारी शामिल थे। उस समय बिहार से आईएएस बनने की दर 16.19 फीसदी रही। इतने प्रतिशत में बिहारी छात्रों की सफलता ने पूरे देश को चौंकाया। देश को चौंकाने का यह सिलसिला साल दर साल चलता रहा। जीतोड़ मेहनत और लगन की बदौलत बिहारी प्रतिभा आगे चलकर देश चलाने वाले ब्यूरोक्रेट में तब्दील होती गई।

आपको बता दें कि सबसे ज्यादा आईएएस यूपी ने दिए हैं. 2016 तक इसकी संख्या 731 थी.2011 से 2015 के बीच यूपी ने 118 आईएएस दिए. वहीं बिहार इस मामले में काफी पीछे रह गया. ब‍िहार से सिर्फ 68 आईएएस निकले सिविल सर्विस की परीक्षाओं में कभी बिहार के विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी लेकिन 1996 के बाद इसमें गिरावट आई। अब एक बार फिर बिहार के विद्यार्थी इसमें अच्छा कर रहे हैं। सिविल सर्विस के एक्सपर्ट बताते हैं कि 2011 में यूपीएससी में सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) पैटर्न लागू हुआ। सीसैट में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता ने बिहारी अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं।हालांकि, अभी सीसैट को क्वालिफाइंग कर दिया गया है, जिसका परिणाम आने वाले सालों में देखने काे मिलेगा। बिहारी विद्यार्थियों के लिए इससे मौके बढ़ेंगे। सीसैट के इस फ्रेम में परीक्षा पास करने के लिए रणनीति के साथ धैर्य की जरूरत होती थी। जुनूनी प्रतियोगियों को पुरानी प्रणाली में भी परेशानी नहीं हो रही थी। माना जा रहा है कि इस बदलाव से एप्टिट्यूड पर जोर रहेगा, जो बिहारी छात्रों के लिए मददगार हो सकता है।

80 और 90 के दशक में बिहार को ‘आइएएस बनाने की फैक्ट्री’ के रूप में जाना जाता था। उस दौरान बिहार से आइएएस बनने की दर 16 फीसदी रही। हालांकि बाद में उत्तर प्रदेश ने यह स्थान ले लिया। बिहार दूसरे स्थान पर खिसक गया है। लेकिन एक बार फिर बिहार अपनी पुरानी हनक में फिर लौटने लगा है। हिन्दी बेल्ट के अभ्यर्थियों को अंग्रेजी को लेकर ज्यादा दिक्कत होने की आशंका थी, लेकिन बिहार के होनहारों ने इस धारणा को पूरी तरह झुठला दिया। सिविल सर्विस की ऑल इंडिया रैंक में बिहार के बच्चों उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। यानी की देश की सबसे कठिन परीक्षा में भी बिहारी सब पर भारी हैं