ये बात ऐसे ही नहीं कही जाती है कि बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं…इस राज्य के माटी का गौरव ऐसा है कि यहां की हर गली में कोई न कोई कोहीनूर पैदा होता है …हालांकि गरीबी की मार और सामाज में फैली अशिक्षा के शिकार इनमें से कई लोग हो जाते हैं….लेकिन कहते हैं कि सपनों का पीछा तब तक मत छोड़ो जब तक सारे रास्ते बंद न हो जायें…जिसने भी ऐसा किया उसने अपनी मंजिल को पा लिया और आज अपने राज्य का नाम देश और विदेश में रौशन कर रहा है…बिहार की इस माटी में वैसे तो कई कलाकारों ने जन्म लिया लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिनकी सफलता के पिछे की कहानी सभी बड़े चाव से सुनते हैं…संघर्ष से सफलता तक के सफर को कैसे तय किया जाता है ऐसे कलाकारों ने ये साबित किया…इनमें एक नाम बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर का भी आता है…जिसने सिर्फ ये साबित किया कि मेहनत और लगन से इंसान कुछ भी कर सकता है बल्कि समाज को ये संदेश एक बार फिर से मिल गया कि बेटियां मां-बाप पर बोझ नहीं होती..वो अगर चाहें तो आज के समाज से कदम से कदम मिलाकर चल भी सकती है और खुद को साबित कर सकती हैं…
अपनी गायकी के लिए मशहूर मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में हुआ. मैथिली बचपन से ही संगीत के वातावरण में पली बड़ी हैं. इनके पिता का नाम रमेश ठाकुर है. जो संगीत के टीचर हैं और इनकी माता का नाम पूजा ठाकुर हैं. इनके परिवार में मैथिली के अलावा एक बड़ा भाई रिषभ ठाकुर व छोटा भाई अयाची ठाकुर हैं. मैथिली की प्रारंभिक शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से पूरी हुई. अभी मैथिली 18 साल की हैं और दिल्ली के कॉलेज आत्माराम सनातन धर्मं कॉलेज से अपनी पढाई पूरी कर रही हैं.
संगीत इन्हें अपने परिवार की ओर से विरासत में मिला हैं. मैथिली को बचपन से ही संगीत का शौक था और उन्होंने गायन शुरू कर दिया था. जब मैथिली 4 वर्ष की थी तभी इनके दादाजी ने इन्हें संगीत सिखाना शुरू कर दिया था. परिवार में मैथिली को प्यार से सब तन्नु, आयाची को हब्बू और सबसे बड़े भाई रिषभ को सन्नी बुलाते हैं. मैथिली को संगीत में पुर्या धनाश्री राग सबसे ज्यादा प्रिय हैं.
मैथिली ने पहली बार वर्ष 2011 में लिटिल चैंप्स का ऑडिशन दिया था परन्तु वह रिजेक्ट हो गई थी. जिसके बाद कई शोज के लिए ऑडिशन दिए, पर टॉप 20 तक आकर रिजेक्ट हो जाती थी. मैथिली को 6 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा पर हार नहीं मानी. वर्ष 2015 आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार सीजन 2 का खिताब जीता था. जिसके बाद इन्होने इंडियन आइडल जूनियर 2 में भी टॉप 20 में जगह बनाई थी. वर्ष 2017 में मैथिली ने राइजिंग स्टार नामक सिंगिंग रियलिटी शो में चयन हुआ था. उस शो में अपने अच्छे प्रस्तुति के लिए इन्हें 94 प्रतिशत स्कोर प्राप्त हुए थे. इन्होने अपनी प्रस्तुति के दौरान भोर भये गाने का गायन किया था. इसके साथ ही मैथिली 5 बार की दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं. मैथिली ठाकुर ने 2016 में 11वीं की पढ़ाई के साथ थारपा नामक एलबम से अपने संगीत करियर की शुरुआत की हैं. मैथिली की मानें तो वो बॉलीवुड में सफल प्लेबैक सिंगर बनाना चाहती हैं.
मैथिली ठाकुर ने बचपन से ही संगीत में रूचि होने के कारण काफी कम उम्र में ही गायन की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था. कहते हैं कि जिसे संगीत का साथ मिल जाता है उसे किसी और के साथ की जरूरत नहीं पड़ती …और इसी सोच के तहत बिहार के एक छोटे से गांव से आनेवाली मैथिली ठाकुर ने संगीत को तबसे अपना साथी बना लि.या था जिस उम्र में बच्चों को ककहरा सिखाया जाता है…जिस उम्र में पेंसिल पकड़ना सिखाया जाता है उसी उम्र में मैथिली ने हारमोनियम के तारों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी…आज स्थिति ये है कि मैथिली अब तक बॉलीवुड में तो बतौर सिंगर स्थापित अब तक नहीं हो पाई है लेकिन दूसरी ओऱ ये बात भी सही है कि देश के कम ही ऐसे कलाकार होंगे जो मैथिली को नहीं जानते होंगे…बहरहाल बिहार की ये बेटी सिर्फ इसी मुकाम पर आकर नहीं रुकना चाहती बल्कि उसे और भी आगे जाने की लालसा है…सोशल मीडिया के प्लैटफॉर्म ने भी मैथिली को खूब फेम दिया और आज भी अपने भाइयों के साथ मैथिली अपने हर सोशल पेज पर अपने गानों के माध्यम से लोगों का मन मोह लेती हैं…
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