बिहार…एक ऐसा राज्य जो कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं का गवाह रहा है…जब जब मातृभूमि को संकट आया तब तब इत माटी से किसी न किसी ने जन्म लेकर विरोधियों के दांत खट्टे किये हैं…भले ही देश की आजादी को इतने साल बीत गये हों लेकिन उसका दर्द आज भी दिलों से मिटा नहीं है…वो दर्द जो अंग्रेजों ने देश के लोगों को दिया था…लेकिन ये सोचकर मन शांत हो जाता है कि कि उस दौर में भी देश के वीर सपूतों ने अंग्रेजौं के चंगुल से देश को आजादी दिलाई…ऐसे वीर सपूत जिनकी याद में देश के कई जगहों पर समृति चिन्ह स्थापित किये गये हैं ताकि उनकी याद हमारे जेहन में हमेशा ताजा रहे… ऐसा ही एक समृति चिन्ह राजधानी पटना का वीर कुंवर सिंह पार्क भी है जो देश के वीर सपूत…. ठेठ बिहारी और 80 की उम्र में भी अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वेले बाबू वीर कुंवर सिंह की याद दिलाता है…इस पार्क में घोड़े पर सवाल हाथ में तलवार लिये कोई और नहीं दिखता बल्कि वो बाबू विर कुंवर सिंह की छवि को प्रदर्शित करता एक प्रमाण है जो कहता है कि वीर नाम रखने से नहीं होता …वीर होना पड़ता है और उस वीरता को कुंवर सिंह ने 80 की उम्र का होकर भा साबित किया…
राजधानी पटना का बाबू वीर कुंवर सिंह पार्क कई यादों को अपने आप में संजोये हुए है…इस पार्क में हरियाली तो है ही साथ ही साथ एक ऐसी अनकही कहानी भी है जो सिर्फ किताबों में सिमटकर रह गई है…पटना के इस पार्क में सन 1857 के उस भड़कती हुई ज्वाला की जीती जागती तस्वीर है जिसमें बिहार के एक 80 साल के जवान ने अंग्रजों की बुनियाद हिला कर रख दी थी…उस दौर में देश के कई हिस्सों से अंग्रेजों के खिलाफ ज्वाला भड़क रही थी औऱ हर तरफ लोग एक होकर लड़ाई लड़ने लगे थे जिसमें बिहार की तरफ से भोजपुर का नेतृत्व कर रहे बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी…कुंवर सिंह के बारे में अगर एक लाइन में समझा जा सकता है तो बस इस बात से कि एक अंग्रेजी इतिहासकार ने अपनी किताब में लिखा था…बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के साथ लड़ाई में वीरता और शौर्य का असीम प्रदर्शन किया है…गनीमत ये रही कि जब ये लड़ाई छिड़ी तो बाबू वीर कुंवर सिंह 80 साल के थे वरना अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ गया होता…
बाबू वीर कुंवर सिंह के नाम पर बनाया गया राजधानी पटना का ये पार्क अपने आप में काफी अहम है…पूरे बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जिस प्रकार बाबू वीर कुंवर सिंह को जानने वाले और चाहने वाले हैं ठीक उसी प्रकार इस पार्क को बी उतनी ही उप्लब्धि मिली है जो कि वीर सपूत के सम्मान में मिलनी चाहिए…आजादी की कहानी का एक हिस्सा राजधानी पटना का ये पार्क भी कहा जा सकता है क्योंकि इस पार्क के माध्यम से एक ऐसे वीर योद्धा की कहानी को संजोये जाने की सफल कोशिश है जिससे प्रेरण लेकर आनेवाले भविष्य में भी पीढ़ी दर पीढ़ी लोग जीवन में आगे बढ़ेंगे…
बाबू वीर कुंवर सिंह की शहादत के बाद कई दशक बीत गये लेकिन हर बदलते वक्त के साथ लोगों ने उन्हें अपनी अपनी भावनाओ के साथ याद किया…उसी दौर में एक दौर वो भी आया जब भोजपुरी सिनेमा और गानों की लोकप्रियता बढ़ी…इस दौर में भी बाबू वीर कुंवर सिंह के उपर आधारित कई गाने बने …राजनीति के स्वरूप बदला राजनीति का आधार बदला लेकिन एक ही भावना और एक ही सेंटिमेंट बिहार के लाल के लिए सभी के अंदर रहा…. राजधानी पटना का ये बाबू वीर कुंवर सिंह पार्क देश के उस वीर योद्धा की वीरता का प्रमाण दे रहा है…लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत ये पार्क उस कहानी को हमेशा ताजा करता रहेगा जिसके नायक बाबू वीर कुंवर सिंह खुद थे…
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