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Bhojpuri is not Decent porn : Biharplus Report

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Bhojpuri गानों में अश्लीलता परोसने वालों थोड़ा इतिहास तो जान लेते

 

भारत विविधताओं का देश कहा जाता है…एक ऐसा देश जहां हर जाति हर वर्ग और हर धर्म के लोग एक साथ रहते हैं…जाहिर है भाषाओं में भी विभिन्नता होगी…भारत देश में बोली जाने में हर भाषा अपने आप में मधुर है लेकिन भोजपुरी के बारे में कहा जाता है कि सरलता से ओतप्रोत इस भाषा का ज्ञान जिसे हो गया उसे बोलना आ गया…भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है….अगल-अलग भाषा अलग अलग वेशभूषा और अलग अलग जाति-धर्म को रेखांकित करें तो हर भाषा की अपनी भूमिका है और हर एक भाषा का अपना एक निश्चित प्रांत सिमित है…लेकिन भोजपुरी एक ऐसी भाषा है जिसे बोलने वाले देश के हर हिस्से में ही नहीं बल्कि विश्व में भी अपनी पहचान रखते है… जिस भोजपुरी की पहचान कभी इसके मिठास से हुआ करती थी …वहीं भाषा आज अश्लीलता का परिचायक बनकर रह गई है…भोजपुरी में अश्लीलता को जन्म देने वाले ऐसे कलाकारो को इसका श्रेय तो जाता ही है साथ ही साथ पर्दे पर फिल्माये जाने वाले जो दृश्य होते हैं उनमें भी संस्कृति को तार-तार करते हुए देखा जा सकता है… हालांकि भोजपुरी में फैली इस अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठनी भी शुरू हो चुकी है लेकिन ध्यान देने वाली बात तो ये है कि वो आवाज कभी सुनाई ही नहीं देती…लगे हाथ ये भी जिक्र करना जरूरी है कि आखिर भाषा में फैली इस अश्लीलता का कारण क्या है…इसके दो कारण मालूम पड़ते हैं …एक तो वो लेखक जो गंदगी के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हैं और दूसरे वो श्रोता जिनके कानों में अगर अश्लीलता की मिठास न जाये तो उन्हें नींद भी नहीं आती…

 

भोजपुरी कला के जनक कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर ने ये कत्तई नहीं सोचा होगा कि जिस भोजपुरी में नई धारा की शुरूआत वो कर रहे हैं उसका विस्तार कुछ इस तरह से होगा कि इस भाषा का मतलब ही बदल जायेगा…कहने को तो इसी भोजपुरी माटी ने देश के कई रत्नों को जना है लेकिन उनकी छवि को धुमिल करती आज की संसकृति कह लें या फिर लोगों की मानसीकरता या फिर भाषा का गिरता स्तर…आज अपने उस मुकाम को छू चुकी है जहां पहुंचने के बाद भाषा का मतलब ही बदल जाता है…
बहरहाल भोजपुरी की अपनी अलग पहचान है और ये पहचान भाषा में स्वच्छता का संदेश देता है…गानों से या फिलमों से या फिर बोलचाल में इस्तामाल किये जाने वाले शब्दों के चयन में लगता है इंसान कमजोर होता जा रहा है ..तभी तो लेख से लेकर कलाकार तक सभी इस गंदगी को बढ़ावा देने में लगे हैं…ये बात हम इसलिए कह रहे हैं कि अगर भोजपुरी से अश्लीलता को जल्द खत्म नहीं किया गया तो ये बात तो तय है कि जो सपना हमारे पूर्वजों नें इस माटी और भाषा को लेकर देखा था…उससे टूट जाना है…किसी तरह अपनी संस्कृति को बचाने की जद्दोजहद करती ये भाषा आज अपने आप को तलाशने में जुटी है…ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में अगर ऐसा ही चलता रहा तो इसका अस्तीत्व खतरे में पड़ सकता है…