अपनी भाषा की मिठास और सौहार्द्र के प्रतिक बिहार की गौरव गाथाएं किसी से छुपी नहीं हैं…हिंदुस्तान के पटल पर बिहार आज के दौर में किसी परिचय का मोहताज नहीं है…इस राज्य को खास बनाने में कई ऐसी कड़ियां हैं जो एक-दूसरे से जुड़कर इसके इतिहास को परत-दर-परत बयां करती हैं….बिहार की बातें ऐसी हैं जो इसे बाकी राज्यों से अलग करती हैं…सबसे पहली बात तो ये कि ये राज्य कई दैविक कथाओं का साक्षी रहा है…जिसकी छवि स्थापित कर हम आज भी पूजा करते हैं….यही कारण है कि बिहार में आज देश के अलग अलग कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं…जाहिर है पौराणिक कथाओं का प्रचार और प्रभाव इतना है कि सात समंदर पार से भी आस्था की डुबकी में सरोबोर होने लोग खिंचे चले आते हैं…बिहार की आबादी लगभग दस करोड़ से ज्यादा की है…यहां हर जाति धर्म और समुदाय के लोग एकसाथ रहते हैं…राज्य की परिधी को देखते हुए इसके क्षेत्र का आंकलन किया जा सकता है…कहते हैं कि परिवार बढ़ता है तो उसका विभाजन होता है और फिर ये चेन चलता रहता है….ठीक उसी प्रकार बिहार में कई प्रांत बने प्रखंड बने और हर प्रांत की भाषाएं भी अपने अपने हिसाब से बोली जाने लगीं….आगे चलकर इन भाषाओं को नाम मिला जिन्हें हम अलग-अलग नामों से जानते हैं….इसके साथ ही हर प्रांत के लोगों की भाषाएं भी बदलीं…
बिहार की राजभाषा हिन्दी तथा द्वितीय राजभाषा उर्दू है। बिहार में बोली जाने वाली भाषाओं और बोलियों में अंगिका, भोजपुरी, मैथिली, मगही, और वज्जिका, प्रमुख हैं। हम सूचिबद्ध तरीके से समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे कि बिहार में कौन कौन सी भाषाएं बोली जाती हैं और उन भाषाओं में क्या विविधताएं हैं…
सबसे पहले बात करेंगे अंगिका भाषा की…. इस भाषा को भागलपुरी भाषा भी कहा जाता है। अंगिका भाषा मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया आदि जिलों में बोली जाती है। इसके बोलने वालों की संख्या 1.12 करोड़ है।
इसके बाद आता है भोजपुरी…. यह भाषा बिहार के मुख्यतः रोहतास, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, सारण, सीवान, गोपलगंज और पश्चिमी चम्पारण में बोली जाती है। बिहार में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या करीब 1 करोड़ 10 लाख है। भोजपुरी भाषा में अनेक फिल्मों के निर्माण से इसके प्रचार-प्रसार में वृद्धि हुई है।
मैथिली भाषा बिहार की भाषाओं में सबसे उन्नत और विकसित है। कवि कोकिल विद्यापति इस भाषा के सर्वोपरि कवि हैं। मैथिली भाषा दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, सीतामढ़ी व पूर्णिया जिलों में बोली जाती हैं। लिग्इवंस्टिक सर्वे ऑफ इण्डिया के अनुसार मैथिली भाषा को बोलने वालों की संख्या 1 करोड़ है।
मगही भाषा की बात करें तो इसे बोलने वालों की संख्या करीब 75 लाख है। यह भाषा गया, पटना, जहानाबाद, नवादा, मुंगेर, हजारीबाग और पलामू जिलों में बोली जाती है। लेकिन पटना और गया जिले में सबसे अधिक बोली जाती है।
वज्जिका वैशाली एवं मुजफ्फरपुर जिले की भाषा है। यह भाषा सम्पूर्ण मुजफ्फरपुर, चम्पारण के पूर्वी क्षेत्र आदि क्षेत्र में बोली जाती हैं। वज्जिका का क्षेत्र करीब चौबालीस सौ वर्ग मील फैला है। वज्जिका भाषा की बोलने वालों की संख्या करीब 62 लाख है।
इनके अतिरिक्त थारु भाषा भी बोली जाती है। पहाड़ी भाषाओं में संथाली, मुंडारी, और उरॉव आदि प्रमुख है।
बिहार में भाषाओं की विविधता ही एक ऐसी कड़ी है जो इसे सबसे अलग करती है…हालांकि एक खास बात ये भी है कि इस राज्य की ऐसी कोई भाषा नहीं जो बिल्कुल ही एक दूसरे से मेल नहीं खाती हो…लोगों की बोली में मिठास के किस्से देश के कई राज्यों में भी प्रचलित हैं…बिहार में बोली जाने वाली हर एक भाषा का अपना महत्व है …देश के हर कोने में मौजूद और विदेशों में इस राज्य के जातक भी इस बात को मानते हैं कि उन्हें उनकी भाषा की वजह से हर जगह सम्मान ही मिला है…बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक इस राज्य के लोगों ने अपनी भाषा का लोहा मनवाया है….देश के सांसद में भी बिहार की भाषाओं का असर आपको अक्सर देखने को मिल जाएगा…जब कोई सांसद भरे सदन में अपनी भाषा में ही लोगों को राजनीति का पाठ पढ़ाता है..देश की सरहद से लेकर सात समंदर पार तक बिहार की भाषाओं का चित्रण आपको साक्षात देखने को मिल जाएगा…
Add Comment