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Nitish Kumar के लिए क्या Patna Flood बिगाड़ देगा चुनावी खेल, कैसे पार लगेगी नैया I Biharplus News

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बिहार इन दिनों ऐसे दौर से गुजर रहा है जिसमें हर तरफ सिर्फ चित्कार सुनाई देता है…कई दशकों के बाद राजधानी पटना समेत सूबे के कई जिले ऐसी त्रासदी का दंश झेल रहे हैं जिसकी कल्पना अगर भूल से भी की जाये तो रोंगटे खड़े हो जायेंगे…पहले हम आपको बिहार में आई बाढ़ की वो तस्वीर दिखाते हैं जिसमें कई जिंदगियां अपने आप को सुरक्षित करने के लिए जी-जान लगा रही हैं….अब इन तस्वीरों को देखकर मन में एक सवाल तो उठता है और वो ये है कि आखिर वो कौन सी भूल हुई सरकार से या प्रशासन से जिसकी वजह से कई घरों के चराग बूझ गये…ऐसी कौन सी लापरवाही हुई सूबे की मुखिया से जिसकी वजह से कई लोगों के आसियाने तिनके की तरह बिखर गये…हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे लेकिन उससे पहले हमम आपको बता दें कि सूबे में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में बाढ़ का आना सिर्फ लोगों के लिए आफत का सबब तो बना ही है लेकिन सुशासन बाबू को जो झटका लगने वाला है उसकी तस्वीर भी लगभग साफ होनेलगी है…आपको बता दें कि लगभग तीन से चार दिन पहले लगातार हो रही बारिश थम गई लेकिन चार दिनों तक सबकुछ डूबा लेने के बाद अब भी आसमान काले बादलों से ढंका हुआ है…बारिश तो थम गई लेकिन इस बारिश में कई लोग घर से बेघर हो गये….इतना ही नहीं इस बीच सराकर और प्रशासन के व्यवस्था की भी पोल खुल गई…इस प्रलय के आने से पहले और इस भीषण तस्वीर के बीच सिर्फ एक ही कड़ी दिखाई देती है और वो हैं खुद सूबे के मुखिया नीतीश कुमार…कुर्सी की चाह ने भले ही नीतीश कुमार को सिर्फ एक तरफ केंद्रित कर दिया हो लेकिन आज बिहार की जनता नीतीश कुमार से अपनों के जान की कीमत मांग रहे हैं…आज सैकड़ों लोग नीतूश कुमार से अपने सपने को घरों को सामने बर्बाद होते देखने के बाद एक छत की गुहार कर रहे हैं….लेकिन सुशासन बाबू हैं कि बाढ़ को लेकर सवाल पूछे जाने पर आग बबूला हो जाते हैं और कहने लगते हैं कि अमेरिका में भी बाढ़ आता है और पानी लगता है….और तो और पत्रकारों को तो ऐसे देखने लगते हैं जैसे इंडियन फिल्म के सनी देओल हों…..


बिहार में बाढ़ की स्थिति, सरकार की नाकामी , प्रशासन की लापरवाही और जनता का मूड देखने के बाद तो यही लगता है कि आनेवाला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण देखने लगा है…उपर से बाढ़ में फंसे लोगों के बीच मसीहा बनकर पहुंचनेवाले जाप संरक्षक पप्पू यादव की बढ़ती लोकप्रियता भी इस बार तख्तापलट कर सकती है….

नीतीश कुमार से जब भी बाढ़ को लेकर पत्रकारों के द्वारा सवाल किया गया तब सुशासन बाबू ने अपने व्यक्तित्व के विपरीत लोगों से बर्ताव किया और ऐसे बयान दे बैठे जिसके बाद रातोंरात जनता का मूड और तेवर बदलने लगा है…लोगों ने इस बात पर विचार करना शुरू कर दिया है कि ऐसी सरकार और ऐसे मुखिया को चुनकर क्या करेंगे जो आम लोगों और गरीबों को ही घर से बेघर कर दे…अब राजधानी पटना को ही ले लीजिए…यहां ऐसा कोई इलाका नहीं है और न ही ऐसी कोई कॉलोनी है जो बारिश के बाद न डूब गई हो…राजेंद्रनगर कंकड़बाग सहित कई इलाकों में लोग अब भी अपने अपने छत पर आश्रय लिये हुए हैं…अब जिससे भी पूछिये वो यही कहता है कि न तो प्रशासन की तरफ से कोई देखने वाला है और न ही को नेता इसकी सुध ले रहा है…ये और बात है कि पुलिस लगातार राहत कार्य में लगी है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई सरकार के द्वारा आवंटित की गई राशि का उपयोग सौ प्रतिशत पीड़ितों के लिए हो रहा है…क्योंकि अगर ऐसा होता तो बाढ़ में फंसे लोग आज पप्पू यादव का नहीं बल्कि नीतीश कुमार की जय-जयकार कर रहे होते….

विधानसभा चुनाव का परिणाम चाहे जो बी हो लेकिन इस बाढ़ ने परत दर परत सुशासन के उन दावों और वादों से पर्दा तो जरूर उठा दिया है जो नीतीश कुमार भरी सभा में किया करते हैं और ये कहते नहीं थकते वो अपने काम के आधार पर लोगों के बीच वोट मांगने जायेंगे…जनता के मन में ये सवाल पहले से ही है कि मौसम विभाग ने जब पहले ही घोषणा कर दी थी उसके बाद भी सरकार ने तैयारियां क्यों नहीं की और नालों की साफ सफाई क्यों नहीं कराई गई…सवाल ये भी है कि मर रहे लोगों को देखना तो दूर सूट बूट पहनकर अपना चेहरा चमकाने वाले नीतीश कुमार और उनके मंत्री राहत के नाम पर वोट की राजनीति चाहें तो कर लें लेकिन इस चुनाव में लोगों का गुस्सा विपक्ष को खुशी दे सकता है…दूसरी ओर ये बी हो सकता है कि पप्पू यादव जो फिलहाल लोगों के लिए हीरो बने हुए हैं वो आनेवाले दिनों में एक बड़े समीकरण को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं…