बिहार के इस सबसे प्रमुख त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. छठी मइया को ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि का प्रसाद चढ़ाया गया. व्रती भक्तों ने ठंडे पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया. इससे पहले 13 नवंबर शाम को ढलते सूरज को पहला अर्घ्य दिया गया था. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कोई डूबते सूर्य को प्रणाम नहीं करता, लेकिन छठ ही एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग सिर्फ उगते सूर्य को ही अर्घ्य नहीं देते, बल्कि वे डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा के सिर्फ धार्मिक मान्यताएं ही नहीं बल्कि विज्ञान में भी इसके फायदों के बारे में बताया गया है. दरअसल सूरज की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलती है और उगते सूर्य की किरणों से फायदेमंद और कुछ भी नहीं. इसीलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया. वहीं, प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूरत की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं.
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